ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण यूपी रेरा में शुक्रवार को विभिन्न बिल्डरों के खिलाफ सुनवाई हुई। पीठ दो में 50 पीठ तीन में 43 व न्याय निर्णायक अधिकारी की कोर्ट में 52 मामले सुने गए। पीठ दो में हवेलिया बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड, कृष्णा एस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, ओमेक्स इंडिया ट्रेड कंट्री प्राइवेट लिमिटेड, यूनिटेक आदि बिल्डर परियोजना से जुड़े खरीदारों के मामले सुने गए। पीठ दो में सबसे ज्यादा युनिटेक के 6 प्रकरणों में सुनवाई हुईं। सुनवाई पूरी हो जाने के बाद पीठ सदस्य बलविंदर कुमारने युनिटेक के सभी मामलों में रिफंड का आदेश जारी किया है। सुनवाई के दौरान खरीदारों ने यूपी रेरा को बताया कि नोएडा स्थित बिल्डर की परियोजना अभी भी ढांचागत स्थिति में खड़ी है। निर्माण कार्य आधा अधूरा है। बिल्डर ने फ्लैट बुकिंग रेरा का क्षेत्रीय कार्यालय ७ जागरण के दौरान 207 तक फ्लैटों पर कब्जा देने का वादा किया था। लेकिन परियोजना का निर्माण कार्य पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है। खरीदारों ने बताया कि बिल्डर से कई बार परियोजना को पूरी कर फलैटों परकब्जा देने की गुहार लगाई गई। लेकिन बिल्डर ने निर्माण पूरा कर कब्जा देने के बजाय परियोजना की पूर्णता की तारीख ही बदल दी। हार थककर खरीदारों ने युपी रेरा में गुहार लगाई। रेरा ने सुनवाई पूरी कर परियोजना से जुड़े सभी मामलों में रिफंड का आदेश जारी किया है। जासं, ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) पीएसए इम्पैक्ट प्राइवेट लिमिटेड की ग्रेटर नोएडा स्थित संपदा लीबिया परियोजना का पंजीकरण पहले ही रद कर चुकी है। जिसके बाद रेरा ने अब परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने की कवायद शुरू कर दी है। परियोजना का कार्य पूरा कराने के लिए रेरा ने निर्माण कार्य करने वाली संस्थाओं से आवेदन मांगे है। रेरा सचिव अबरार अहमद ने बताया कि परियोजना का निर्माण कार्य पूरा कराने के लिए रेरा सदस्य की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति का गठन किया गया है। समिति में रेश सदस्य बलविंदर कुमार अध्यक्ष होंगे। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, वित्त नियंत्रक उत्तर प्रदेश रेरा, तकनीकी सलाहकार रेरा, कंसीलेशन कंसीलेटर आरडी पालीवाल के साथ परियोजना के पंजीकृत आवंटी समूह को सदस्य बनाया गया है। बता दें कि अक्टूबर 2049 को रेरा ने ग्रेटर नोएडा के सेक्टर चाई-5 स्थित संपदा लीबिया की परियोजना का पंजीकरण रद करने का आदेश दिया था। लेकिन रेरा का आदेश जारी हो जाने के बाद भी बिल्डर ने आदेश के खिलाफ कोई अपील दाखिल नहीं की थी। रेरा पंजीकरण रद करने के साथ बिल्डर का बैंक अकाउंट को भी पहले ही सीज कर चुका है। रेरा शिकायतकर्ताओं के मुताबिक परियोजना का निर्माण कार्य पिछले दो साल से बंद पड़ा हुआ है। खरीदार कई बार बिल्डर परियोजना के बाहर घरौंदा पूरा करने की मांग को लेकर बिल्डर परियोजना के बाहर धरना प्रदर्शन कर चुके है। बिल्डर को 2077 में निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा देना था। लेकिन इमारत अभी ढांचागत स्थिति में खड़ी हुईं है। इसके बाद हार थक कर परियोजना से जुड़े करीब 24 खरीदारों ने यूपी रेरा से गुहार लगाई। फिर आठ मार्च को रेरा ने बिल्डर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। रेरा की और से गठित समिति ने रेरा का निरीक्षण भी कराया था। जांच में पता चला कि मौके पर परियोजना किसी दूसरे नाम से है। बिल्डर ने परियोजना से जुड़े खरीदारों का पैसा भी टूसरी जगह लगा दिया है। प्रमोटर जेल में बंद है। रेरा ने खरीदारों के साथ विश्वासघात मानते हुए बिल्डर का रजिस्ट्रेशन रद करने का फैसला लिया था।
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